‘संसारी जीव मिथ्यामार्ग से कैसे बचें इस प्रकार निरंतर चिंतन करना अथवा जिनेन्द्र भगवान के द्वारा बताए गए सन्मार्ग का निरंतर चिंतन करना अपाय- विचय या उपाय- विचय नामक धर्मध्यान है।
जहाँ अनेक पद और वाक्यों का पूर्व पर क्रम से अन्वय न हो अतएव एक दूसरे से मेल न खाता हुआ असमबन्धार्थत्व जाना जाता है, वह समुदाय अर्थ के अपाय (हानि) से अपार्थक नामक निग्रहस्थान कहलाता है। उदाहरण- जैसे दस …