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जं जग जन जम जय जर जल जा जि जी जु जै जो ज्
23 July

जगतघन

  • Posted by kundkund
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(जगत्श्रेणी) = जगतघन जगत्प्रतर : जगत् श्रेणी के वर्ग को हैं। 343 घनराजू । जगत्प्रतर कहते =

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23 July

जगत्श्रेणी 

  • Posted by kundkund
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एक प्रदेश चौड़े और सात राजू लम्बे आकाश प्रदेशों की पंक्ति को श्रेणी कहते हैं ।

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23 July

जंघाचारण ऋद्धि 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु पृथिवी से चार अंगुल ऊपर आकाश में घुटनों को मोड़े बिना गमन करने में समर्थ होते हैं वह जंघाचारण-ऋद्धि कहलाती है।

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23 July

जंतुकर्ण

  • Posted by kundkund
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सब देवता और सब मतों को एक समान मानना वैनयिक मिथ्यादर्शन है। सभी तीर्थंकरों के तीर्थ में वैनयिकों का उद्भव होता है उसमें कोई जटाधारी, कोई मुण्डे, कोई शिखाधारी और कोई नग्न रहते हैं कोई दुष्ट हो, चाहे गुणवान् दोनों …

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23 July

जनपद 

  • Posted by kundkund
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अंग बंग आदि देश कहलाते हैं। देश का एक देश जनपद कहलाता है । यथा – शूरसेन, गांधार, काशी, अवन्ति आदि ।

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