जिस सल्लेखना में स्वयं व दूसरे के द्वारा वैयावृत्ति की अपेक्षा रहती है उसे भक्त प्रत्याख्यान सल्लेखना कहते हैं। भक्त प्रत्याख्यान करने वाला क्षपक ऐसी प्रतिज्ञा करता है कि मैं हिंसा आदि पाँचों पाप का त्याग करता हूँ मेरे सब …
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