अपार्थक
जहाँ अनेक पद और वाक्यों का पूर्व पर क्रम से अन्वय न हो अतएव एक दूसरे से मेल न खाता हुआ असमबन्धार्थत्व जाना जाता है, वह समुदाय अर्थ के अपाय (हानि) से अपार्थक नामक निग्रहस्थान कहलाता है। उदाहरण- जैसे दस अनार, छः पूये, कुण्ड, चर्म, अजा कहना आदि । वाक्य का दृष्टान्त जैसे यह कुमारी का गैरूक (मृगचर्य) शय्या है। उसका पिता सोया नहीं है। ऐसा कहना अपार्थक है।