अज्ञानता या प्रमाद के कारण बिना जाने प्रवृत्ति करना अज्ञात-भाव है।
अज्ञानीजीवों का आचरण देखकर स्वयं वैसा ही आचरण करना, उसमें क्या दोष है तथा अज्ञानी के लायक उद्गम आदि दोषों से सहित उपकरण आदिकों का सेवन करना अज्ञान अतिचार है।
अज्ञानता या प्रमाद के कारण बिना जाने प्रवृत्ति करना अज्ञात-भाव है।
अज्ञानीजीवों का आचरण देखकर स्वयं वैसा ही आचरण करना, उसमें क्या दोष है तथा अज्ञानी के लायक उद्गम आदि दोषों से सहित उपकरण आदिकों का सेवन करना अज्ञान अतिचार है।
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