अनिःसृत
अनिःसृत अर्थात् निःसृत । कुछ प्रकट कुछ अप्रकट। इस प्रकार वस्तु के कुछ भागों का ग्रहण होना और कुछ का न होना अनिःसृत अवग्रह है । क्षयोपशम की विशुद्धि में पूरे वाक्य का उच्चारण न होने पर भी उसका ज्ञान कर लेना अनिःसृत है। अभिमुख अर्थ का ग्रहण कर लेना निःसृत अवग्रह है और अनाभिमुख अर्थ का ग्रहण करना अनिःसृत अवग्रह है। वस्तु के एकदेश का अवलम्बन करके पूर्ण रूप से वस्तु को ग्रहण करने वाला और वस्तु के एकदेश अथवा समस्त वस्तु का उल्लंघन करके वहाँ अविद्यमान अन्य वस्तु को विषय करने वाला अनिःसृत प्रत्यय है। तालाब में जलमग्न हस्ती की सूंड को देखने पर पूरे हस्ती का ज्ञान हो जाना अथवा किसी स्त्री का मुख देखने पर इसका मुख चन्द्रमा के समान है ऐसी उपमा का ज्ञान होना अथवा गवय को देखकर गाय का ज्ञान होना ये सब अनिःसृत अवग्रह हैं।