बिना मन वाले जीव असंज्ञी कहलाते हैं। ये शिक्षा, उपदेश आदि ग्रहण करने में असमर्थ होते हैं। असंज्ञी, असैनी और अमनस्क ये एकार्थवाची शब्द हैं।
हिंसक प्राणियों का पालन पोषण करना किसी प्रकार के भाड़े की उत्पत्ति के लिए दास और दासियों का पोषण करना असतीपोषकर्म कहलाता है।
वचन की उत्पत्ति के लिए जो प्रयत्न होता है उसे वचनयोग कहते हैं अथवा सत्यादि चार प्रकार के वचनों में जो अन्वयरूप से रहता है उसे सामान्य वचन कहते हैं उस वचन से उत्पन्न हुए आत्मप्रदेश परिस्पन्द लक्षण वीर्य के …