वह यद्यपि निज आत्मा के आकार से सविकल्प है तो भी इन्द्रिय और मन से उत्पन्न जो विकल्प समूह है उससे रहित होने के कारण निर्विकल्प है। विशिष्ट दशा में मन स्वतः ज्ञानरूप हो जाता है वास्तव में स्वयं ज्ञान …
जिस अर्थ को उपाधि ऐसे शब्दों से कहे जो प्रसिद्ध न हो इस कारण से या जो अतिशीघ्र उच्चारण के कारण से या उच्चारित शब्द के बह्वर्थवाचक होने से अथवा प्रयोग प्रतीत न होने से तीन बार कहने पर भी …