1. जो जाना जाए या निश्चय किया जाए उसे अर्थ या पदार्थ कहते हैं। मोक्ष मार्ग में जानने योग्य जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा, मोक्ष, पुण्य और पाप ये नौ पदार्थ हैं। 2. जो पर्याय को प्राप्त होता है …
शब्दों का उच्चारण होने पर मन में जो अभिप्राय उत्पन्न होता है वह अर्थ शब्द का भाव है। गणधर आदि द्वारा रचित सूत्रों के अर्थ को यहाँ ‘अर्थ’ समझना चाहिए। अतः सूत्र को अक्षरशुद्ध, अर्थ (अभिप्राय) शुद्ध अथवा दोनों रूप …
आगम को पढ़े बिना ही उसमें प्रतिपादित अर्थ या भाव को जानकर जो सम्यग्दर्शन होता है उसे अर्थ- सम्यग्दर्शन कहते हैं।
अर्थक्रियाकारित्व (अर्थक्रियाकारित्व) या केवल अर्थक्रियाकारिन “कारण दक्षता” को संदर्भित करता है। – यह काफी स्वाभाविक था कि दर्शन के उदय की शुरुआत में, प्रत्येक स्कूल अपने स्वयं के सिद्धांत के समर्थन में और दूसरों के सिद्धांतों की अमान्यता के खिलाफ …