जीव जिस आयु को भोग रहा होता है वह भुज्यमान आयु कहलाती है। भुज्यमान आयु घटते-घटते आगामी परभव की आयु बंधती है इसलिए इसे अपकर्ष कहते हैं। भुज्यमान आयु का 2/3 भाग बीत जाने पर आयु बन्ध के योग्य प्रथम …
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now