देखिये अवधिज्ञान ।
चार घातिया कर्मों के क्षय होने पर जो अनन्त-दर्शन, अनन्त – ज्ञान, अनन्त – सुख और अनन्त–वीर्य रूप चार गुण आत्मा में प्रकट होते हैं उन्हें अनन्त-चतुष्टय कहते हैं ।
ज्ञानावरण-कर्म के क्षय होने से जो सकल चराचर को जानने वाला ज्ञान आत्मा में प्रकट होता है उसे अनन्त ज्ञान या केवलज्ञान कहते हैं।