अगार का अर्थ गृह या घर है । अतः घरगृहस्थी के ममत्व से रहित निष्परिग्रही साधु को अनगार कहते हैं।
ध्यान और अध्ययन करना मुनिवरों का मुख्य धर्म है, जो मुनिराज इन दोनों को अपना मुख्य कर्त्तव्य समझकर अहर्निश पालन करता है, वही मुनि मोक्षमार्ग में सल्लग्न हैं अन्यथा वह मुनिवर नहीं है। ज्ञानाचार आदि स्वरूप पाँच प्रकार आचार, उत्तम …