अनगार
अनगार सामान्य साधुओं को कहते हैं क्योंकि सर्व सुख और दुख विषयों में उनके समता रहते हैं। महाव्रतधारियों को अनगार कहते हैं। निरागार या अनगार परिग्रह रहित साधु के होता है। चारित्रमोहनीय का उदय होने पर जो परिणाम घर से निवृत्त नहीं है वह भावागार कहा जाता है। वह जिसके ऐसे परिणाम हैं, वन में निवास करते हुए भी अगारी है और जिसके इस प्रकार का परिणाम नहीं है व घर में निवास करते हुए भी अनगार है। उत्तम चारित्रवाले मुनियों के ये नाम हैं- श्रमण, संयत, ऋषि, मुनि, साधु, वीतराग, अनगार, भदंत, दंत व यति ।