ऋद्धि रहित आर्य पाँच प्रकार के हैं- क्षेत्रार्य, जात्यार्य, कर्मार्य, चारित्रार्य और दर्शनार्य । काशी कौशल आदि उत्तम देशों में उत्पन्न हुओं को क्षेत्रार्य कहते हैं । इक्ष्वाकु जाति, भोज आदि उत्तम कुलों में उत्पन्न हुओं को जात्यार्य कहते है। …
शीतल पवन का स्पर्श होने पर जहाँ शीतल पवन को जानना तो मतिज्ञान और उस ज्ञान से वायु की प्रकृतिवाले को यह पवन अनिष्ट है ऐसा जानना श्रुत ज्ञान है सो यह अनक्षरात्मक श्रुत ज्ञान है क्योंकि यह अक्षर के …
लिंग तथा भग या योनि अंग है। इससे दूसरे स्थान में क्रीड़ा या केलि सो अयोग्य अंग से क्रीड़ा है अर्थात् कामसेवन के अंगों को छोड़कर या अन्य रीति से क्रीड़ा करना सो अनंगक्रीड़ा है।