हेतु और उदाहरण के अधिक होने से अधिक नामक निग्रह स्थान है ।
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जिस धर्मी में जो धर्म रहता है उस धर्मी को उस धर्म का (न्याय विषयक) अधिकरण कहते हैं जैसे-घटत्व धर्म का अधिकरण घट है। प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 16/19 शुद्धानंतशक्तिज्ञानविपरिणमनस्वभावस्याधारभूतत्वादधिकरणत्वमात्मसात्कुर्वाणः। = शुद्ध अनंत शक्तियुक्त ज्ञान रूप से परिणमित होने …
हिंसा के साधनों को ग्रहण करना अधिकारिणी क्रिया है।
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