अथालंद विधि दो प्रकार की है, गच्छविनिर्गत गच्छप्रतिबद्ध । परीषह, उपसर्ग को जीतने में तपाव्यक्त बलवीर्य परन्तु परिहार विधि को धारण करने में असमर्थ साधु इस विधि को धारण करते हैं । तीस वर्ष पर्यन्त भोग भोगकर 19 वर्ष तक …
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