हित और अहित के विवेक से रहित होना अथवा ‘पशुवध धर्म है’ इस प्रकार अहित में प्रवृत्ति कराने वाला जो उपदेश है वह अज्ञान – मिथ्यात्व है।
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हित और अहित के विवेक से रहित होना अथवा ‘पशुवध धर्म है’ इस प्रकार अहित में प्रवृत्ति कराने वाला जो उपदेश है वह अज्ञान – मिथ्यात्व है।
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