अनुभाग बन्ध
कर्म में विविध प्रकार के फल देने की शक्ति का पड़ना ही अनुभव या अनुभाग बन्ध है। जिस प्रकार बकरी, गाय, भैंस आदि के दूध में अलग-अलग गाढ़ा, पतला आदि रस (स्वाद ) होता है उसी प्रकार कर्म पुद्गलों की शुभ या अशुभ रूप अपनी-अपनी अलग-अलग फल (रस) देने रूप सामर्थ्य होती है। यही अनुभागबंध कहलाता है। वह जिस कर्म का जैसा नाम है उसके अनुरूप होता है।