अनादेय
प्रभायुक्त शरीर का कारण आदेय नामकर्म है और निष्प्रभ शरीर का कारण अनादेय है। जिस कर्म के उदय से जीव के बहुमान्यता उत्पन्न होती है वह आदेय नामकर्म कहलाता है जिससे अर्थात् बहुमान्यता उत्पन्न होती है वह आदेय नामकर्म है। उससे अर्थात् बहुमान्यता से विपरीत अनादरनीयता को उत्पन्न करने वाला अनादेय नामकर्म है। जिस कर्म के उदय से आदेय होता है वह आदेय नामकर्म है, जिस कर्म के उदय से अच्छा कार्य करने पर भी जीव गौरव को प्राप्त नहीं होता वह अनादेय नामकर्म है।