अनन्तनाथ
चौदहवें तीर्थकर | इक्ष्वाकु वंश में राजा सिंहसेन और रानी जयश्यामा के यहाँ उत्पन्न हुए। इनकी आयु तीस लाख वर्ष और ऊँचाई पचास धनुष थी। समस्त शुभ लक्षणों से युक्त इनका शरीर स्वर्ण के समान आभावान था। राज्य करते हुए पंद्रह लाख वर्ष बीत जाने पर उल्कापात देखकर ये वैराग्य को प्राप्त हुए और अपने पुत्र को राज्य देकर गृहत्याग कर दीक्षित हो गये। दो वर्ष की तपस्या के उपरान्त इन्हें केवलज्ञान हुआ। इनके समवसरण में पचास गणधर, छ्यासठ हजार मुनि, एक लाख आठ हजार आर्यिकाएं, दो लाख श्रावक एवं चार लाख श्राविकाएं थीं । इन्होंने सम्मेद शिखर से मोक्ष प्राप्त किया ।