अध्रुव अवग्रह
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1. जो यथार्थ ग्रहण निरंतर नहीं होता वह अध्रुव – अवग्रह है। अर्थात् जैसा प्रथम समय में शब्द आदि का ज्ञान हुआ था आगे वैसा ही नहीं रह पाता, कम या अधिक होता है, वह अध्रुव – अवग्रह है। 2. बिजली, दीपक की लौ आदि अध्रुव या अस्थिर वस्तु का ज्ञान होना अध्रुव-अवग्रह है।
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