अक्षीण महालय ऋद्धि
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जिस ऋद्धि के प्रभाव से मुनि के समीप खाली स्थान में (मात्र समचतुष्कोण) चार धनुष प्रमाण क्षेत्र में भी अनगिनत जीव ( मनुष्य व तिर्यंच) आकर सुखपूर्वक आसानी से बैठ सकते हैं वह अक्षीण महालय ऋद्धि कहलाती है।
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