तत् और अतत् स्वभाव वस्तु से सून केवल वचन विलास स्व परिकल्पित अनेकधर्मात्मक मिथ्या अनेकान्त है ।
एक धर्म का सर्वथा अवधारणा करके अन्य धर्मों का निराकरण करने वाला मिथ्या एकान्त है। अनेकान्तात्मक द्रव्य का सत्पात्र ही स्वरूप नहीं है, जो कथन अनेकान्त दृष्टि से रहित है, वह सब मिथ्या है क्योंकि वह अपना ही घातक है …
अर्हन्त भगवान के द्वारा बताए गए वीतराग मोक्षमार्ग से विपरीत मार्ग पर चलना मिथ्याचारित्र है।