मिथ्या नय
मिथ्या एकान्त करे नयाभास या मिथ्या कहते हैं। पदार्थ सर्वथा सत् है और कथंचित् सत् है इस प्रकार से क्रम से दुर्नय, नय और प्रमाण से पदार्थों का ज्ञान होता है। खोटे नयों को या दुर्नीतियों को मिथ्यानय कहते हैं। ये नय ही जब दुराग्रह पूर्वक वस्तु स्वरूप का अवधारण करने वाले होते हैं तब मिथ्या नय कहे जाते हैं।