दूसरों को दुख न हो ऐसी भावना रखना मैत्री है अथवा अनन्तकाल से मेरा आत्मा इस संसार में भ्रमण कर रही है इस संसार में सभी प्राणियों ने मेरे ऊपर अनेक बार महान् उपकार किए हैं ऐसा मन में विचार …
राग के वशीभूत होकर स्त्री और पुरूष में जो परस्पर कामसेवन की इच्छा होती है उसे मैथुन-संज्ञा कहते हैं।
मालव देश में उज्जैनी नगरी के राजा पुहुपाल की पुत्री थी। पिता के सम्मुख कर्म की बलवत्ता का बखान करने के कारण पिता ने क्रोध वश कुष्ठि (कोटिभट्ट श्रीपाल) के साथ विवाह दी । पति की खूब सेवा की तथा …