मनुष्य आदि शरीर तथा उस शरीर के आधार से उत्पन्न पंचेन्द्रियों के विषमभूत सुख का स्वरूप सो मेरा है – इसे ममकार कहते हैं अथवा आत्मा से भिन्न शरीर आदि में मेरेपन का भाव होना ममत्व या ममकार कहलाता है।
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