मिथ्याकार
जो व्रतादि में अतिचार लगा हो वह मिथ्या होवे, ऐसी मिथ्या किए पापों को फिर करने की इच्छा न करे और अंतरंग भाव से प्रतिक्रमण करता है उसी के दुष्कृत में मिथ्याकार होता है।
जो व्रतादि में अतिचार लगा हो वह मिथ्या होवे, ऐसी मिथ्या किए पापों को फिर करने की इच्छा न करे और अंतरंग भाव से प्रतिक्रमण करता है उसी के दुष्कृत में मिथ्याकार होता है।
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