1. मनुष्यादि पर्यायरूप ही मैं हूँ, ऐसा कहना या मानना अहंकार है। अथवा शरीरादि में अपनी आत्मा से अभेद मानकर जो मैं गौर वर्ण का हूँ, मैं मोटा हूँ, मैं राजा हूँ इस प्रकार कहना अहंकार है इसे ही अहंक्रिया …
1. रागादि के अभाव को अहिंसा कहते हैं । 2. मन, वचन, काय से त्रस और स्थावर सभी प्रकार के जीवों को नहीं मारना अहिंसा – महाव्रत है । 3. मन, वचन, काय से त्रस जीवों को नहीं मारना और …