1. मनुष्यादि पर्यायरूप ही मैं हूँ, ऐसा कहना या मानना अहंकार है। अथवा शरीरादि में अपनी आत्मा से अभेद मानकर जो मैं गौर वर्ण का हूँ, मैं मोटा हूँ, मैं राजा हूँ इस प्रकार कहना अहंकार है इसे ही अहंक्रिया …
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