जिससे भूख मिट जाए वह अशन है अर्थात् भात, दाल आदि भोज्य सामग्री को अशन कहते हैं।
यह एक मंत्र विद्या है। ये सब विद्याएँ कल्याण रूप और यंत्रों से परिष्कृत और लोगों का हित करने वाली है।
धन–सम्पदा, भाई-बन्धु, मन्त्र-तंत्र, औषधि आदि कोई भी मरण के समय प्राणी के लिए शरणभूत नहीं होते अर्थात् ये सब उसे मरण से बचा नहीं सकते। इस जन्म-मरण रूपी संसार में भ्रमण करते हुए जीवों का एकमात्र धर्म ही शरण है …
यह शरीर अत्यन्त अपवित्र है, स्नान और अन्य सुगंधित पदार्थों से भी इसकी अशुचिता अर्थात् मलिनता को दूर कर पाना संभव नहीं है किन्तु रत्नत्रय के द्वारा अपनी आत्मा की शुचिता को प्रगट किया जा सकता है, इस प्रकार बार-बार …