वर्तमान समय में जिन स्थितियों को बाँधता है उन्हें अनन्तर अतिक्रान्त समय में बड़ी हुई बाँधी गई बहुतर स्थिति से अल्पतर बाँधता है, वह अल्पतर बंध है।
क्षेत्रादि भेदों की अपेक्षा भेद को प्राप्त हुए जीवों की परस्पर संख्या विशेष को जानना अल्पबहुत्व कहलाता है। संख्यात आदि पदार्थों में अन्यतम किसी एक के परिमाण का निश्चय हो जाने पर उनकी परस्पर विशेष प्रतिपत्ति (जानकारी) के लिए अल्पबहुत्व …
जो कटकों का कुंडों गोवरपीडों प्रकारों और शाटिकायों तथा इनसे लेकर और जो दूसरे पदार्थ है उनका जो बन्ध होता है अर्थात् अन्य द्रव्य से सम्बन्ध को प्राप्त अन्य द्रव्य का जो बन्ध होता है वह सब अल्लीवण बन्ध है।