दो दिन का वासी दही और छाछ त्यागना योग्य है। नमक तेल व घी में रखा फल और अचार को दो मुहूर्त से ऊपर छोड़ देना चाहिए। क्योंकि उसके बाद उनकी मर्यादा समाप्त हो जाने से वे अमर्यादित हो जाते …
अमूढ़ दृष्टि का अर्थ है यथार्थ दृष्टि । अनेक प्रकार के मत-मतान्तरों में सत्य-असत्य का निर्णय करके मोह रहित यथार्थ-दृष्टि रखना अमूढ़पना है। यह सम्यग्दर्शन का एक अंग है अथवा कुमार्ग और कुमार्गी के प्रति मन से सम्मति, वचन से …
जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु के हाथ में रखा गया रूखा सूखा आहार अमृत के समान सरस और गुणकारी हो जाता है अथवा जिसके प्रभाव से साधु के वचन अमृत के समान हितकारी हो जाते हैं उसे अमृतस्त्रावी ऋद्धि …
अमृताशीति – योगींदुदेव nikkyjain@gmail.com Date : 17-Nov-2022 Index गाथा / सूत्र विषय 001) मंगलाचरण 002) कुछ पद्यों के द्वारा विषयसुख मे निमित्तभूत धनोपार्जन के प्रयत्नो के प्रकारों का निरूपण करते है — 006) राजदरबार में होनेवाला प्रयत्न 007) गुणीजनों का …