तिर्यक् सामान्य अर्थात् द्रव्य और गुणों की युग्पत् वृत्ति ही अभेद है।
द्रव्यार्थिकनय के आश्रय से द्रव्य गुण आदि का व्यतिरेक न होने के कारण अभेद वृत्ति है।
द्रव्यार्थिकनय के आश्रय से द्रव्य गुण आदि का व्यतिरेक न होने के कारण अभेद वृत्ति है।
गुण और गुणी आदि में एकपना होने के कारण अभेद स्वभाव है।
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