अभिलाप अर्थात् अभिधेय का प्रतिपादन करना अभिलाप है।
इन्द्रियों के ग्रहण करने योग्य विशेष गुणों की आश्रय भूत मूर्त्ति व्यक्ति है अथवा स्वरूप के लाभ को अभिव्यक्ति कहते हैं। जो व्यक्त होता है उसे अभिव्यक्ति कहते हैं। ऐसी व्युत्पत्ति होने के कारण दृश्यमान रूप को अभिव्यक्ति कहते हैं।