जहाँ पहले होकर वही अवस्था बाद में न हो वहाँ उसका अभाव कहा जाता है। वस्तु का कभी सर्वथा अभाव नहीं होता। अतः भावान्तर रूप होना ही अभाव माना जाता है। जैसे किसी स्थान में पहले घड़ा रखा था और …
गुण पर्यायों सहित जीव भ्रमण करता हुआ भाव, अभाव, भावाभाव और अभाव भाव को करता है। देवादि पर्याय रूप से उत्पन्न होता है इसलिए उसी को ( जीव द्रव्य को ही) भाव का (उत्पादक) कर्तृत्व कहा गया है। मनुष्यादि पर्याय …