जो आगामी आयु का अतीत काल विषै बन्धन भया, वर्तमानकाल विषै भी न हो है वहाँ अबन्ध कहिये । चार वर्ण, चार रस, एक गन्ध, सात स्पर्श, सम्यग्मिथ्यात्व ओर सम्यक्तवप्रकृति, पाँच बंधन और पाँच संघात ये अट्ठाईस प्रकृतियाँ बंधन के …
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