देखिये वचन ।
अप्रतिक्रमण दो प्रकार का है- अज्ञानी जनों के आश्रित और ज्ञानी जनों के आश्रित । अज्ञानी जनों के आश्रित जो अप्रतिक्रमण है वह विषयों के अनुभव और रागादि रूप है अर्थात् हेय उपादेय के विवेक से रहित सर्वथा अत्याग रूप …
जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधुजन पर्वत, शिला, वृक्ष आदि के आरपार गमन करने में सक्षम होते हैं वे अप्रतिघात- ऋद्धि कहलाती है।
जिन जीवों का पृथ्वी से, जल से, आग से, प्रतिघात नहीं होता उन्हें सूक्ष्म कायिक जानो। जिनका शरीर अन्य पुद्गलों से प्रतिघात रहित हैं, वे सूक्ष्म जीव हैं ये अर्थ यहाँ पर सूक्ष्म अर्थ से लेना । अथवा जिनकी गति …