किसी अर्थ के सिद्धान्त को मानक नियम विरुद्ध ‘कथा प्रसंग करना अपसिद्धान्त नामक निग्रह स्थान होता है। अर्थात् स्वीकृत आगम के विरुद्ध अर्थ का साधन करने लग जाना अपसिद्धान्त है। जैसे शरीर को जीव बताना अपसिद्धान्त रूप विरुद्ध वचन है।
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