संसार के जन्म-मरण से मुक्त हो जाना मोक्ष या अपवर्ग कहलाता है ।
व्याख्यान करने की विशेष पद्धति को अपवाद पद्धति कहते हैं जैसे- पाँच समिति और तीन गुप्ति का प्रतिपादन करने वाले शास्त्र के ज्ञान से भी केवलज्ञान होता है ।
विशेष रूप से कही गई विधि को अपवाद कहते हैं। बाल, वृद्ध, श्रान्त व ग्लान मुनियों को शुद्धात्म– तत्व के साधनभूत संयम का जिस प्रकार छेद न हो उस प्रकार अपने योग्य मृदु आचरण करना अपवाद मार्ग कहलाता है। मुनिजन …