परम वैराग्य की भावना से मेरा हृदय शुद्ध है, मैंने समस्त पदार्थों के रहस्य को जान लिया है, मैं वीतराग धर्म का उपासक हूँ चिरकाल से मैं दीक्षित हूँ तो भी अभी तक ज्ञान का अतिशय उत्पन्न नहीं हुआ। महातप, …
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