श्रावक के द्वारा बिना दिया आहारादि यदि साधु ग्रहण कर ले तो यह अदत्त-ग्रहण नाम का अन्तराय है ।
परम वैराग्य की भावना से मेरा हृदय शुद्ध है, मैंने समस्त पदार्थों के रहस्य को जान लिया है, मैं वीतराग धर्म का उपासक हूँ चिरकाल से मैं दीक्षित हूँ तो भी अभी तक ज्ञान का अतिशय उत्पन्न नहीं हुआ। महातप, …
जो बिना ही ब्रह्मचारी का भेष धारण किये शास्त्रों का अभ्यास करते हैं और फिर ग्रहस्थ धर्म धारण करते हैं, उन्हें अदीक्षा ब्रह्मचारी कहते हैं। अदृष्टान्तवचनोदाहणाभास (जो दृष्टान्त नहीं है उसका सम्यक वचन होना ) नाम का दूसरा उदाहरणाभास इस …