जीवों को पीड़ा पहुँचाकर उत्पन्न की गई जो आहार आदि सामग्री है वह अध:कर्म कहलाती है। यदि साधु अपने लिए स्वयं आहार आदि बनाए, दूसरे से बनवाए या बनाने वाले का समर्थन करे और ऐसी आहार आदि सामग्री ग्रहण करे …
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