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अध्यवसान

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" 1 4 8 अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ ए ऐ ओ औ क ख ग घ च छ ज झ ट ठ ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह
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अधः अधर अधस अधि अधो अध्

अध्यवसान

  • Posted by kundkund
  • Date July 10, 2023

बुद्धि, व्यवसाय, अध्यवसान, मति, विज्ञान, चित्त, भाव और परिणाम ये सब एकार्थ ही हैं ॥271॥ स्व और परका ज्ञान न होने से जो जीव की निश्चिति होना है ,वह अध्यवसान है। वही बोधन मात्रपनसे बुद्धि है, निश्चयमात्रपनसे व्यवसाय है, जानन मात्रपनसे मति है, विज्ञप्तिमात्रपनसे विज्ञान है, चेतन मात्रपनसे चित्त है, चेतन के भवन मात्रपनसे भाव है और परिणमन मात्रपनसे परिणाम है। अतः सब शब्द एकार्थवाची हैं।

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    • Comments 0 comment

    बुद्धि, व्यवसाय, अध्यवसान, मति, विज्ञान, चित्त भाव और परिणाम से सब एकार्थवाची हैं। शुद्धात्मा का सम्यक् श्रद्धान, ज्ञान व अनुचरण रूप निश्चय रत्नत्रय लक्षण वाला भेद विज्ञान जब तक नहीं होता तब तक जीव अनेक विकल्प करता है, जैसे ‘मैं जीवों को मारता हूँ’ इत्यादि हिंसा रूप अध्यवसान हैं। ‘मैं नारकी हूँ’ इत्यादि कर्मोदय रूप अध्यवसान हैं। धर्मास्तिकाय है इत्यादि ज्ञेय पदार्थ जन्य अध्यवसान होता है। ये सभी अध्यवसान शुभ अशुभ कर्म बंध के निमित्त है। –

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