अहिंसा
1. रागादि के अभाव को अहिंसा कहते हैं । 2. मन, वचन, काय से त्रस और स्थावर सभी प्रकार के जीवों को नहीं मारना अहिंसा – महाव्रत है । 3. मन, वचन, काय से त्रस जीवों को नहीं मारना और बिना प्रयोजन के एकेन्द्रिय जीवों को भी नहीं मारना अहिंसा अणुव्रत है। पशुओं को रस्सी आदि से बाँधना, मारपीट करना, नाक, कान का छेदन करना, उनसे अधिक काम लेना, उन्हें अन्न जल आदि समय पर नहीं देना यह सब अहिंसा अणुव्रत के दोष हैं।