असिद्ध पक्षाभास
जो वादी को इष्ट हो और प्रत्यक्ष आदि प्रमाण से बाधित न हो और सिद्ध न हो उसे साध्य कहते हैं। सन्दिग्ध, विपर्यस्त ओर अव्युत्पन्न पदार्थ ही साध्य हो इसलिए सूत्र में असिद्ध पद दिया है। वादी को अनिष्ट पदार्थ साध्य नहीं होता इसलिए साध्य को इष्ट विशेषण लगाया है तथा प्रत्यक्ष आदि किसी भी प्रमाण से बाधित पदार्थ भी साध्य नहीं होते इसलिए अबाधित विशेषण दिया है इसमें से असिद्ध विशेषण तो प्रतिवादी की अपेक्षा से और इष्ट विशेषण वादी की अपेक्षा से क्योंकि दूसरे को समझाने की इच्छा वादी को ही होती है।