अष्टापद
यह कैलाश पर्वत का दूसरा नाम है। यह भगवान ऋषभदेव की निर्वाणभूमि है। इस पर्वत पर सगर चक्रवर्ती के साठ हजार पुत्रों ने स्वर्णमय जिनालयों की रक्षा करने, बनाने के लिए दण्डरत्न से आठ पादस्थान बनाकर इसकी भूमि खोदना प्रारंभ किया था इसलिए इसका नाम अष्टापद प्रसिद्ध हुआ। इस पर्वत पर आठ पैरों वाला तिर्यंचजीव पाए जाने से भी इसका नाम पड़ा।