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अवक्तव्यवाद 

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" 1 4 8 अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ ए ऐ ओ औ क ख ग घ च छ ज झ ट ठ ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह
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अवक अवग अवच अवत अवद अवध अवप अवम अवय अवर अवल अवश अवस अवा अवि अव्

अवक्तव्यवाद 

  • Posted by kundkund
  • Date July 23, 2026
  • Comments 0 comment

वे एकान्तवादी जन उस स्वघाती दोष को दूर करने में असमर्थ है आपसे द्वेष रखते आत्मघाती है और बालक है, उन्होंने तत्त्व की इस अवक्तता को आश्रित किया । हे भगवन् आपकी युक्ति की अभिलाप्यता के जो दोषी हैं उन द्वेषियों को इस मान्यता पर कि सम्पूर्ण तत्त्व अनभिलाप्य है। उपेय तत्त्व की अवाच्यता के सामान्य उपायतत्त्व भी सर्वथा अवाच्य हो जाता है। अपेक्षा तत्त्व अनिवर्चनीय है’ यह शुद्ध द्रव्यार्थिक नय का पक्ष है तथा ‘गुणपर्यायवक्ता तत्त्व है’, यह पर्यायर्थिक नय पक्ष है।

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