अयोध्या
जम्बूद्वीप के आर्यखंड के कौशल देश की एक नगरी। यह नगरी सरयू नदी के किनारे इन्द्र द्वारा प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ के पिता नाभिराय और माता मरूदेवी के लिए रची गयी थी। सुकोशल देश में स्थित होने से इसे सुकोशला और विनीत लोगों की निवासस्थली होने से इसे विनीता भी कहा गया है। इसके सुयोजित निर्माण कौशल के कारण इसे शत्रु जीत नहीं सकते थे इसलिए इसे अयोध्या कहा गया। सुंदर भवनों के निर्माण के कारण इसे साकेत भी कहा जाता था। यह नौ योजन चौड़ी, बारह योजन लम्बी और अड़तालीस योजन विस्तार वाली थी। सभी तीर्थंकर सामान्यतः अयोध्या में ही जन्म लेते हैं परन्तु काल के प्रभाव से वर्तमान चौबीसी में कुछ तीर्थंकरों का जन्म अन्यत्र भी हुआ।