अयोग–केवली–जिन
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तेरहवें गुणस्थानवर्ती सयोग केवली भगवान जब अपने जीवन के अंतिम क्षणों में विशुद्ध ध्यान के द्वारा मन-वचन-काय की समस्त क्रियाओं का निरोध कर देते हैं तब योग से रहित इस अवस्था में वे अयोग- केवली – जिन कहलाते हैं। यह अंतिम चौदहवाँ गुणस्थान है।
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