अभाव शक्ति
गुण पर्यायों सहित जीव भ्रमण करता हुआ भाव, अभाव, भावाभाव और अभाव भाव को करता है। देवादि पर्याय रूप से उत्पन्न होता है इसलिए उसी को ( जीव द्रव्य को ही) भाव का (उत्पादक) कर्तृत्व कहा गया है। मनुष्यादि पर्याय रूप से नाश को प्राप्त होता है, इसलिए उसी को अभाव का ( व्यय का ) कर्तृव्य कहा गया है। सत् (विद्यमान) देवादि पर्याय का नाश करता है इसलिए उसी को भावाभाव का ( सत् के विनाश का ) कर्तृत्व कहा गया है और फिर से असत् (अविद्यमान) मनुष्यादि पर्याय का उत्पाद करता है इसलिए उसी को अभाव भाव का (असत् के उत्पाद का) कर्तृत्व कहा गया है। विद्यमान अवस्थायुक्तता रूप भाव शक्ति (अमुक अवस्था जिसमें विद्यमान हो उस रूप भाव शक्ति) शून्य (अविद्यमान) अवस्था युक्तता रूप अभाव शक्ति (अमुक अवस्था जिसमें अविद्यमान हो उस रूप अभाव शक्ति ) प्रवर्तमान पर्याय के व्यय रूप भावाभाव शक्ति । अप्रवर्तमान पर्याय के उदय रूप अभावभावशक्ति प्रवर्तमान पर्याय के भवन रूप भावाभाव शक्ति । अप्रवर्तमान पर्याय के अभवनरूप अभाव शक्ति । (कर्त्ता कर्म आदि) कारकों के अनुसार जो क्रिया उससे रहित भवनमात्रमयी (होने मात्रमयी) भाव शक्ति ।